काळ पर कवितावां

अकाल वह स्थिति है जब

प्राकृतिक आपदा, फ़सल-विफलता, युद्ध अथवा अराजकता के परिदृश्य में अनाज, पशुओं के चारे एवं अन्य आवश्यक खाद्य-सामग्रियों का अभाव उत्पन्न होता है। अस्तित्व पर तत्कालीन संकट और भविष्य पर इसके कुल जमा प्रभाव के रूप में यह मानवीय संवेदना का विषय है जो काव्य में अभिव्यक्ति पाता रहा है।

कविता25

पींपळ

सतीश छिम्पा

अनोखौ काळ

रेवतदान चारण कल्पित

काल

नागराज शर्मा

काळ सूं सवाल

गोरधन सिंह शेखावत

काळ (67)

सुंदर पारख

बादळ

दुष्यन्त जोशी

अकाल चिन्तन

हरीश आचार्य

काळ

अम्बिका दत्त

म्हां कीं नीं जांणां

चन्द्र प्रकाश देवल

काळ अर भूख

भगवती लाल व्यास

पांणी

विनोद सोमानी 'हंस'

काळ/ अकाळ/ महाकाळ

रेवतदान चारण कल्पित

आठौ काळ

रेवतदान चारण कल्पित

काल

मोहन आलोक

काळ

गोरधन सिंह शेखावत

काळ

प्रेमजी ‘प्रेम’

काळ-दुकाळ

प्रेमजी ‘प्रेम’

अघोरी काळ

कन्हैयालाल सेठिया

ऊंट

शारदा कृष्ण

अघोरी काळ

अनीता सैनी

चौपड़-पासा

मणि मधुकर

हाइकू

शिव शर्मा 'विश्वासु'

मिगसर

रेवतदान चारण कल्पित