सुण्यो है

थारा गांव री नदी रो पुळ बह गियौ है,

बता

पुळ थनै कई बात कह गियौ है?

म्हांरा गाँव रे कनै भी एक नदी है

वणी पर भी एक पुळ है

ठा कोनी

कतरी शताब्दियां रै पैली बण्यौ हो

पण

आज भी ज्यूं रो त्यूं है,

ठा कोनी

थारा नुवां पुळ री हालत असी क्यूं है?

ज्यों उद्घाटन रा

थोड़ा दिनां पछे ही ढह गियौ है,

बता

पुळ थनै कई बात कह गियौ है?

भाई साहब!

आप भी म्हनें पूछो हो

पुळ क्यूं बह्यौ?

अर पुल म्हनै कई कह्यी?

म्हने तो अतरी ठा है

म्हांरा गाँव री नदी पै पुळ बण्यो है,

लारला दिनां

उद्घाटन रो उछब मन्यौ है,

म्हैं भी

आबा वाळा सुख रो सपनो बुण्यौ हो,

छेटी लाग्या माइक सूं

आती आवाज में सुण्यौ हो-

आज एक ही अहम् सवाल है,

चौफेरां अकाळ ही अकाळ

आपांने

हर खतरा सूं टलणौ है,

बदलता जुग रै लार बदलणौ है,

निर्माण रा नुवां सांचां में ढलणौ है,

पुळ रै वणी पार

मतलब

आगली शताब्दी में चलणौ है!

भाई साहब!

म्हूं तो खेत में हल चला रियो हो,

मुखड़ा पर पसीनो रियो हो,

वणीं ने पौंछती बेळ्यां

यो जरूर सुण्यौ हो,

आम्बा वाळा सुख रो सपनो बुण्यौ हो,

ठा कोनी कणी रा पुण्य-प्रताप सूं

पहली बरसात हुई,

कुण जाणै कईं बात हुई,

पुळ रो खंडहर रह गियौ है

पुळ म्हनें कई भी नीं कह गियौ है।

भाई साहब!

वो पुळ काल तक तो नवौ हो

आज म्हूं भी देखबा ने गयौ हो

भीड़ रै मांहीं

कतरा ही रिया हा

कतरा ही जा रिया हा,

कतरा ही...

कई रो कई बता रिया हा;

कोई कह्यौ-

यो पुळ लजवन्ती हो

पाणी रो

चट्टी आगळो रे अड़तां ही

लजाग्यौ।

धीरे सूं दूजो बोल्यो-

एक पुळ

अठै-कठै

अड़े-भड़े

कणी दूजी नदी पर

ऊणी'ज भांत बह्यौ हो,

अतरा में तीसरे मिनख कह्यौ हो-

या सब बाढ़ री माया है,

अणी में सब जणां काया है,

अकाळ होवै या बाढ़

दोन्यू ही अपाणा है,

अखबार वाळां ने तो

दोन्यू का समाचार छापणा है।

पुळ बह गियौ तो कई हुयो

पुळ एक बार और बणसी

एक बार उछब और मनसी,

पुळ सगळो ही कठै बह गियो है,

भाई,

पुळ म्हने कई भी बात कोनी कह गियो है।

भाई साहब?

म्हांरो मन

आपरा अर म्हारा पुळ ने तोलै है,

मन ही मन में बोलै है,

कणी गुमी चीज ने टटोळै है,

पण

मुंडा सूं कई भी बात नीं खोले है।

भाई साहब!

आपरा गाँव री नदी रा पुळ पै

कतरी ही वार पाणी चढयो है,

पण

पुळ कोनी पडयो है,

आपरा पुळ रै लार

जो भी खड़ौ है,

वो, इण दुनिया में घणो बड़ी है,

आपरो पुल कोनी वैवेगा,

भोसका पै बीज जरूर रेवैगा

जरूर रेवैगा।

स्रोत
  • पोथी : पसरती पगडंड्यां ,
  • सिरजक : शिव 'मृदुल' ,
  • प्रकाशक : चयन प्रकाशन, बीकानेर
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