गाँव पर कवितावां

महात्मा गांधी ने कहा

था कि भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। आधुनिक जीवन की आपाधापी में कविता के लिए गाँव एक नॉस्टेल्जिया की तरह उभरता है जिसने अब भी हमारे सुकून की उन चीज़ों को सहेज रखा है जिन्हें हम खोते जा रहे हैं।

कविता153

भैण-भाई

यतीन्द्र पूनियां

जीवण

सूर्यशंकर पारीक

बावड़ी

तुषार पारीक

अेक और सदी

हरदान हर्ष

पैली वाळौ गांव कठै है

छगनराज राव 'दीप'

वड़लौ

ज्योतिपुंज

गांव री सुबै

नाथूसिंह इंदा

ओ म्हारो गांव है

ओम पुरोहित ‘कागद’

म्हारौ गाँव

रामेश्वर दयाल श्रीमाली

आखर बोल : आखर बांच

हरीश भादानी

मायड़ रौ परस

भारती कविया

म्हारै गाँव में

भागीरथसिंह भाग्य

म्हारी कविता

आईदान सिंह भाटी

गाम सूं सै' र

अनिल अबूझ

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

म्हारू गाम

महेश पाटीदार

चाल रै चाल

हरीश भादानी

भूगोल रा बंद

सत्यप्रकाश जोशी

म्हारै गाम रो

सत्यनारायण सोनी

कूओ

ओम पुरोहित ‘कागद’

मारग कठै

राजूराम बिजारणियां

जीवतो सपनो

जितेन्द्र निर्मोही

दस दात : 5. मामोलिया

नानूराम संस्कर्ता

बॉर्डर पार

चैन सिंह शेखावत

उडीकै है पींपळ

मदन गोपाल लढ़ा

पगडांडी

नाथूसिंह इंदा

दस दात : 6. मतीरो

नानूराम संस्कर्ता

मारू गाम

सतीश आचार्य

मा रो परस

अजय कुमार सोनी

उजास रै आंगणै

रतना ‘राहगीर’

बड़ा शहर को आदमी

देवेश पथ सारिया

पिछाण

रामदयाल मेहरा

धोरां वाळौ गांव

श्रवण दान शून्य

कथा

भोगीलाल पाटीदार

एक हो रूपीया लाव

सतीश आचार्य

गाँव री गळी

राजदीप सिंह इन्दा

अणमणो पानको

नरेश मेहन

गांव रा जवान

हरीश सुवासिया

रेत नांव आस्था

भंवर भादानी

बदळाव

निशान्त

सरपंची सो'री कोनी

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

भाटो

सुनील कुमार

गांव

प्रमोद कुमार शर्मा

पनजी मारू

गोरधन सिंह शेखावत

औ ई निवेड़

स्वामी खुसाल नाथ

म्हारौ गांव

गौरी शंकर निम्मीवाल

दस दात : 3. भींग

नानूराम संस्कर्ता