भाई पर कवितावां

एक सामाजिक और पारिवारिक

प्राणी के रूप में कवि की अभिव्यक्ति में पारिवारिक संबंधों की धूप-छाँह, घर में गुज़रे पलों की स्मृतियाँ और दंश, नाते-रिश्तेदार आदि का उतरना भी बेहद स्वाभाविक है। इस चयन में प्रस्तुत भाई विषयक कविताओं में इस अनूठे संबंध की ऊष्मा और ऊर्जा को महसूस किया जा सकता है।

कविता31

भैण-भाई

यतीन्द्र पूनियां

निरवाळा रंग

राजूराम बिजारणियां

भायलाचारो

देवकरण जोशी 'दीपक'

हेत री गंगा

जेठानंद पंवार

किरसो

राजेश कुमार स्वामी

आंगणु

राजेश जैन ‘राज’

सीख

प्रहलादराय पारीक

हिलमिल चालो

त्रिलोक शर्मा

दही

हरीश हैरी

मोल-भाव

रचना शेखावत

भाया माथाफोड़ी छोड़।

भवानीसिंह राठौड़ 'भावुक’

मुरदा रा स्हैर मांय

मीनाक्षी पारीक

हाइकू

शिव शर्मा 'विश्वासु'

दपूजो

नीरज दइया

मनक परतेम रेजू रे

कैलाश गिरि गोस्वामी

पड़तख गवाह

संजय पुरोहित

घर

सत्यप्रकाश जोशी

राखी

रघुराजसिंह हाड़ा

जंजाळ

दुलाराम सहारण

जिम्मेदारी

सुनीता बिश्नोलिया

तूं जामण को नरम काळज्यो

प्रेमजी ‘प्रेम’

घर बाबत

नीरज दइया

राजीपो

राणुसिंह राजपुरोहित

बाई

अजय कुमार सोनी

आग

हरीश हैरी

चोखो भाई चोखो

हरसुख धायल

करम सांतरा करजै बीरा

कैलाशदान कविया

थप्पड़

जगदीश गिरी