हिलमिल चालो रे भाई

चालै चाल कुचाल जमानो

पग-पग ऊपर साई

हिलमिल चालो रे भाई

झूठा सपना में मत भटको

सीधी गैल पकडल्यो

प्रेम प्रीत री बात मिलै तो

मन री गाठ जकडत्यो

आपा रो दुख दरद सरीखो

एक पथ रा राही

रळमिळ चाल्या सगळा रै बस

दूर हुवै कठिनाई

हिलमिल चालो रे भाई

रात अधेरी आंधी चालै

मारग में ना सूझै

कायर पाछो पग दे भागै

हिम्मत हाळो जुझै

अणजाणे मारग मे चालै

अलबेली तरुणाई

दुख-दरदा री रात कटैली

जागैली अरुणाई

हिलमिल चालो रे भाई

ऊचै धोरै बजै बासरी

धरती अगडासी रे

कमतरिया किरसाण जमी में

अन-धन निपजासी रे

आज अधेरै री छाती पर

सोनकिरण मुसकाई

कोढ-पाप मिटसी धरती रो

सुख री सांस समाई

हिलमिल चालो रे भाई

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : त्रिलोक शर्मा ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण
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