धरती पर कवितावां

पृथ्वी, दुनिया, जगत।

हमारे रहने की जगह। यह भी कह सकते हैं कि यह है हमारे अस्तित्व का गोल चबूतरा! प्रस्तुत चयन में पृथ्वी को कविता-प्रसंग में उतारती अभिव्यक्तियों का संकलन किया गया है।

कविता107

म्हारौ राजस्थान

रामाराम चौधरी

म्हारौ राजस्थान

रामाराम चौधरी

आभै उतरी प्रीत

राजूराम बिजारणियां

आभै उतरी प्रीत

राजूराम बिजारणियां

धरती काती प्रीत

राजूराम बिजारणियां

धरती काती प्रीत

राजूराम बिजारणियां

भटकाव

मदन सैनी

भटकाव

मदन सैनी

धरती मा

भंवर कसाना

धरती मा

भंवर कसाना

धरती रो धणी

दूदसिंह काठात

धरती रो धणी

दूदसिंह काठात

किण नै दोस देवां

पुरुषोत्तम छंगाणी

किण नै दोस देवां

पुरुषोत्तम छंगाणी

फगत दरखत

भंवरसिंह सामौर

फगत दरखत

भंवरसिंह सामौर

ताणियोड़ी भरत माथै

मीठेश निर्मोही

ताणियोड़ी भरत माथै

मीठेश निर्मोही

बता बेकळू

ओम पुरोहित ‘कागद’

बता बेकळू

ओम पुरोहित ‘कागद’

धुंवाड़ौ

उपेन्द्र अणु

धुंवाड़ौ

उपेन्द्र अणु

बीं सागण भौम

मदन गोपाल लढ़ा

बीं सागण भौम

मदन गोपाल लढ़ा

धरती री मुळक

रमेश मयंक

धरती री मुळक

रमेश मयंक

थळवट रौ उमराव

सुमन बिस्सा

थळवट रौ उमराव

सुमन बिस्सा

चतराम

जितेन्द्र निर्मोही

चतराम

जितेन्द्र निर्मोही

गा

मनोज कुमार स्वामी

गा

मनोज कुमार स्वामी

पृथ्वी

मालचंद तिवाड़ी

पृथ्वी

मालचंद तिवाड़ी

मिनख रा चाळा

इन्द्रा व्यास

मिनख रा चाळा

इन्द्रा व्यास

धरती रो काया कलप

सत्येन जोशी

धरती रो काया कलप

सत्येन जोशी

माटी थनै बोलणौ पड़सी

रेवतदान चारण कल्पित

माटी थनै बोलणौ पड़सी

रेवतदान चारण कल्पित

पछै पछै रै उणियार

चन्द्र प्रकाश देवल

पछै पछै रै उणियार

चन्द्र प्रकाश देवल