धरती पर सोरठा

पृथ्वी, दुनिया, जगत।

हमारे रहने की जगह। यह भी कह सकते हैं कि यह है हमारे अस्तित्व का गोल चबूतरा! प्रस्तुत चयन में पृथ्वी को कविता-प्रसंग में उतारती अभिव्यक्तियों का संकलन किया गया है।

सोरठा2

प्रताप-पच्चीसी

अजयदान लखाजी रोहड़िया

अकबर कनै अनेक

दुरसा आढा