भाई पर गीत

एक सामाजिक और पारिवारिक

प्राणी के रूप में कवि की अभिव्यक्ति में पारिवारिक संबंधों की धूप-छाँह, घर में गुज़रे पलों की स्मृतियाँ और दंश, नाते-रिश्तेदार आदि का उतरना भी बेहद स्वाभाविक है। इस चयन में प्रस्तुत भाई विषयक कविताओं में इस अनूठे संबंध की ऊष्मा और ऊर्जा को महसूस किया जा सकता है।

गीत3

हचकी

किशन लाल वर्मा

रण-लोरी

मेघराज मुकुल

भाई रो भाईपणो

कानदान ‘कल्पित’