रात पर कवितावां

उजाले और अँधेरे के प्रतीक

रूप में दिन और रात आदिम समय से ही मानव जिज्ञासा के केंद्र रहे हैं। कविताओं में रात की अभिव्यक्ति भय, आशंका और उदासी के साथ ही उम्मीद, विश्राम और शांति के रूप में हुई है। इस चयन में उन कविताओं को शामिल किया गया है; जिनमें रात के रूपक, प्रतीक और बिंब से जीवन-प्रसंगों की अभिव्यक्ति संभव हुई है।

कविता70

आंगणैं रो हक

राजूराम बिजारणियां

चांनणी रात

रेवतदान चारण कल्पित

मा रिसाणी है

राजूराम बिजारणियां

हडूडो

प्रेमजी ‘प्रेम’

फसलां

राजेन्द्र सिंह चारण

आंधी हुयोड़ी रात

राजेश कुमार व्यास

रट्ठ

राजूराम बिजारणियां

सूरज

जगदीश गिरी

ओपमा

रामनिवास सोनी

बगत री राग

दुलाराम सहारण

चाकरी

मनमीत सोनी

अपणायत

मीठेश निर्मोही

लुकमींचणी

आशा शर्मा

नान्ही कवितावां

लक्ष्मीनारायण रंगा

रातां

सोनाली सुथार

चेतावणी (101)

सुंदर पारख

अेक माड़ो सुपनो

मदन गोपाल लढ़ा

हींडो

घनश्याम नाथ कच्छावा

मुरधर मूघी रैण

लक्ष्मण सिंघ ‘रसवंत’

अंधारा री ओळखाणा

रमाकान्त शर्मा

खेलकणां थोड़ी ई छै

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

अंधारै रा घाव

पारस अरोड़ा

दिन अर रात

राजदीप सिंह इन्दा

भादवै रो मेह

कृष्ण बृहस्पति

दिन

धनिज्या अमरावत

अदीठो

अनुराग

उल्लू पिछता रैयो हो

लक्ष्मीनारायण रंगा

जिद्दण रात (45)

सुंदर पारख

चानणी रात

शिवराज छंगाणी

सोवां

ओम पुरोहित ‘कागद’

थांरी ओळयूं

नरेंद्र व्यास

जागर

मणि मधुकर

रेत

कन्हैयालाल भाटी

निवण वीर जवानां नै

रामजीलाल घोड़ेला 'भारती'

गुवाळिया

रचना शेखावत

रात बावळी

राजू सारसर 'राज'

रात

आईदान सिंह भाटी

चिटली पर चांद

सत्यदीप ‘अपनत्व’

कांच री आस्था

रचना शेखावत

रगत री बिरखा

राजेन्द्र जोशी

म्हारी साख

मनोज पुरोहित 'अनंत'

मिनख री छायां

त्रिभुवन

ऊजळी रात

रचना शेखावत

दरसाव

संजय कुमार नाहटा 'संजू'

म्हारो प्रणाम!

राजेश कुमार व्यास