रात पर कवितावां

उजाले और अँधेरे के प्रतीक

रूप में दिन और रात आदिम समय से ही मानव जिज्ञासा के केंद्र रहे हैं। कविताओं में रात की अभिव्यक्ति भय, आशंका और उदासी के साथ ही उम्मीद, विश्राम और शांति के रूप में हुई है। इस चयन में उन कविताओं को शामिल किया गया है; जिनमें रात के रूपक, प्रतीक और बिंब से जीवन-प्रसंगों की अभिव्यक्ति संभव हुई है।

कविता66

आंगणैं रो हक

राजूराम बिजारणियां

आंगणैं रो हक

राजूराम बिजारणियां

मा रिसाणी है

राजूराम बिजारणियां

मा रिसाणी है

राजूराम बिजारणियां

चांनणी रात

रेवतदान चारण कल्पित

चांनणी रात

रेवतदान चारण कल्पित

मिनख री छीयां

त्रिभुवन

मिनख री छीयां

त्रिभुवन

सीप

चंद्र सिंह बिरकाळी

सीप

चंद्र सिंह बिरकाळी

ऊजळी रात

रचना शेखावत

ऊजळी रात

रचना शेखावत

दरसाव

संजय कुमार नाहटा 'संजू'

दरसाव

संजय कुमार नाहटा 'संजू'

म्हारो प्रणाम!

राजेश कुमार व्यास

म्हारो प्रणाम!

राजेश कुमार व्यास

घंटी

छत्रपाल शिवाजी

घंटी

छत्रपाल शिवाजी

दिन रा घोबा

इरशाद अज़ीज़

दिन रा घोबा

इरशाद अज़ीज़

लावौ दौ माचिस

पारस अरोड़ा

लावौ दौ माचिस

पारस अरोड़ा

थार मैं रातां

सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’

थार मैं रातां

सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’

बण सोची ही

सत्यदीप ‘अपनत्व’

बण सोची ही

सत्यदीप ‘अपनत्व’

अंधारी-जातरा

किशोर कल्पनाकान्त

अंधारी-जातरा

किशोर कल्पनाकान्त

बापड़ा दिन रात

ओम पुरोहित ‘कागद’

बापड़ा दिन रात

ओम पुरोहित ‘कागद’

सरवर तीरां चांदणी

प्रेमजी ‘प्रेम’

सरवर तीरां चांदणी

प्रेमजी ‘प्रेम’

रातरांणी

मणि मधुकर

रातरांणी

मणि मधुकर

जातरा

थानेश्वर शर्मा

जातरा

थानेश्वर शर्मा

अंधारपख

श्याम महर्षि

अंधारपख

श्याम महर्षि

काळो अंधियारो

कृष्णा आचार्य

काळो अंधियारो

कृष्णा आचार्य

उगतो सूरज

उगमसिंह राजपुरोहित 'दिलीप'

उगतो सूरज

उगमसिंह राजपुरोहित 'दिलीप'

रात बावळी

राजू सारसर 'राज'

रात बावळी

राजू सारसर 'राज'