दिन री बेजा गरमी पछै

आवै है ठंडी रातां

ठंडी रातां में पळका मारै है

बेकळू धोरा

चांदणी रात रै चकोर सन्नाटै में।

कदी-कदी जावे है की सियार

बैठ’र धोरे ऊपर

करण ने चांद देख’र हुक-हुकी।

तारा स्यूं जड़ेडो आकास

मोह लेवे है च्यानणी रातां में

थार रै धोरा रो मन

धोरा दिखावे है बेजां प्रेम

बी चितचोर आकास रै खातर

देखे है आकास नै

चक चक सिर

जियां गळी सूं कोई प्रेमी

देख रैयो होवै

छात पर खड़ी आपरी प्रेमिका नै।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’ ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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