मरुथळ पर कवितावां

रेगिस्तान ऐसा शुष्क

भू-दृश्य है, जहाँ उच्च और निम्न तापमान की चरम स्थिति पाई जाती है और वनस्पति विरल होती है। अपनी इस अद्वितीयता के कारण रेगिस्तान विशिष्ट जीवन-शैली और संस्कृति को अवसर देते हैं। प्रस्तुत चयन में भारतीय रेगिस्तान के जीवन, संस्कृति और जीवनानुभवों पर अभिव्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता88

कविता कोरी रेत री

सत्यनारायण सोनी

रेत

कन्हैयालाल भाटी

म्हारो सांवरियो

इरशाद अज़ीज़

चंदो

चैन सिंह शेखावत

तिस सूं नीं मरै’ला

नवनीत पाण्डे

सवाल रेखागणित रो

चेतन स्वामी

बिस्वास राखजे

प्रहलादराय पारीक

कद अेकलो ऊभो हूँ

संदीप 'निर्भय'

मोर मुकुट थारो

सन्तोष मायामोहन

रेत

मईनुदीन कोहरी 'नाचीज'

गवाळियो

प्रकाशदान चारण

सावण

सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’

कियां भागतो काळ

राजेश कुमार व्यास

हैलो राजस्थानी रो

रामजीलाल घोड़ेला 'भारती'

रेत सूं सवाल

ऋतु शर्मा

रेत में सरजीवण आस

प्रेमलता सोनी

म्हे परेम करियो

दिनेश चारण

तळौ: तळियै दिखै न तोय

भंवरलाल सुथार

मरूथळ री माटी

फारूक़ आफरीदी

मेट आरत मेह कर

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

मरवण

नीलम पारीक

बदळाव

प्रेमलता सोनी

बादळ

दुष्यन्त जोशी

बणाव

देवकरण जोशी 'दीपक'

आपां री प्रीत

किरण राजपुरोहित 'नितिला'

छप्पनियां हेला

जनकराज पारीक

काल-दुकाल

तेजाराम विश्नोई

अैलान

सुधीर राखेचा

रेतघड़ी

राजेश कुमार व्यास

देसड़लौ म्हारौ

अर्जुनसिंह शेखावत

झूंपड़ा

सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’

थारै खेत रो टीबो

सीमा राठौड़ ‘शैलजा’

मुरधर

रेणुका व्यास 'नीलम'

खजाणौ

घनश्याम नाथ कच्छावा

म्हैं थार रौ कवि

चन्द्र प्रकाश देवल

मुरधर मूघी रैण

लक्ष्मण सिंघ ‘रसवंत’

रेगिस्तान होग्यो

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

समन्दर

भंवर भादानी

मुरधर मांय

जयनारायण व्यास

मोटी मरजादण मरुभाषा

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

धोरां वाळो देस

भगवान सैनी

अंतस् मीठास

शिवराज छंगाणी

नासेटू री जूंण-जातरा

महेंद्रसिंह छायण

मथारौ

नाथूसिंह इंदा