मरुथळ पर दूहा

रेगिस्तान ऐसा शुष्क

भू-दृश्य है, जहाँ उच्च और निम्न तापमान की चरम स्थिति पाई जाती है और वनस्पति विरल होती है। अपनी इस अद्वितीयता के कारण रेगिस्तान विशिष्ट जीवन-शैली और संस्कृति को अवसर देते हैं। प्रस्तुत चयन में भारतीय रेगिस्तान के जीवन, संस्कृति और जीवनानुभवों पर अभिव्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

दूहा55

काळ बरस रौ बारामासौ

रेवतदान चारण कल्पित

पोखी कळियां प्यार सूं (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

बाजै लू इण बेग सूं (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आस लगायां मुरधरा (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

भर चोघड़ चालै घरे (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

सज धज आवै सामनै (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

भादरवौ

रेवतदान चारण कल्पित

धोळी रुई फैल सी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

भैंसां मूळ न पावसै (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

सोगंध लीध सिकारियां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जे लूआं थे जाणती (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

धरा गगन झळ (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

चूण लेण रै चाव में (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

प्रीतम रो मुख पेखतां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

दो आतुर मन मिलण नै (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

कूआं सामां आवतां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

सूरज किरणां चाव में (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जिण दिन झड़ता देखिया (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

सांगरियां सह पाकियां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

बाळपणै बैसाख में (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

तोवै ज्यूं धरती तपै (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

लूआं लाग पिळीजिया (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जळ सो प्यारो जीव (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

नहीं नदी-नाळा अठै (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

बैसाख

रेवतदान चारण कल्पित

सावण सांझ सुहावणी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जिण दिस देखो सूवती (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

तन पर लूआं आग सी (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

मरुधर माटी ऊकळ

प्रहलादराय पारीक

तेज घमकतो तावड़ो (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

सूकां तगरां सींगटी (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

मां मरती रै हांचळां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

घड़लै सूं घड़लो घसै (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आसोज

रेवतदान चारण कल्पित

सांवण

रेवतदान चारण कल्पित

कोमळ कोमळ पांखड़्यां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

खो मत जीवण (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आभ अमूझी वादळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आतां देख उंतावळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

थळवट रा दूहा

शक्तिदान कविया

खेजड़ल्यां री छांह में (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जीवण दाता वादळ्यां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आभो धररायो अबै (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आयी नेड़ी मिलण नै (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

गांव-गाव में वादळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

बोझा बांठ सुकाविया (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

असाढ

रेवतदान चारण कल्पित