मरुथळ पर दूहा

रेगिस्तान ऐसा शुष्क

भू-दृश्य है, जहाँ उच्च और निम्न तापमान की चरम स्थिति पाई जाती है और वनस्पति विरल होती है। अपनी इस अद्वितीयता के कारण रेगिस्तान विशिष्ट जीवन-शैली और संस्कृति को अवसर देते हैं। प्रस्तुत चयन में भारतीय रेगिस्तान के जीवन, संस्कृति और जीवनानुभवों पर अभिव्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

दूहा35

काळ बरस रौ बारामासौ

रेवतदान चारण कल्पित

पोखी कळियां प्यार सूं (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आस लगायां मुरधरा (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

असाढ

रेवतदान चारण कल्पित

मरुधर म्हानै पोखिया

चंद्र सिंह बिरकाळी

भादरवौ

रेवतदान चारण कल्पित

आसोज

रेवतदान चारण कल्पित

सांवण

रेवतदान चारण कल्पित

कोमळ कोमळ पांखड़्यां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

खो मत जीवण (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आभ अमूझी वादळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

थळवट रा दूहा

शक्तिदान कविया

जीवण दाता वादळ्यां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आयी नेड़ी मिलण नै (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

भैंसां मूळ न पावसै (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जे लूआं थे जाणती (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

धरा गगन झळ (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

सांगरियां सह पाकियां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

लूआं लाग पिळीजिया (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

नहीं नदी-नाळा अठै (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

बैसाख

रेवतदान चारण कल्पित

सावण सांझ सुहावणी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

मरुधर माटी ऊकळ

प्रहलादराय पारीक

सूकां तगरां सींगटी (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

कोरा-कोरा धोरिया (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जळ सो प्यारो जीव (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

गांव-गाव में वादळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आभो धररायो अबै (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आतां देख उंतावळी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

धोळी रुई फैल सी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

आज कळायण ऊमटी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

सज धज आवै सामनै (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी