आंख्या है

पण दीसै कोनीं

भणै कियां आखर

स्याही कोनी

पण लिखै है कलम

धुंआफाड़

बरसै है झमाझम

दिन-रात इण भांत

कै चालण लागी है चादरां

सगळा बंधां माथै

पतियारौ है

म्हारै मरुधर में

अबै कोई

तिस सूं नीं मरै

स्रोत
  • सिरजक : नवनीत पाण्डे ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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