पाणी पर कवितावां

पानी या जल जीवन के अस्तित्व

से जुड़ा द्रव है। यह पाँच मूल तत्त्वों में से एक है। प्रस्तुत चयन में संकलित कविताओं में जल के विभिन्न भावों की प्रमुखता से अभिव्यक्ति हुई है।

कविता67

पाणी री पीड़

सुरेश कुमार डूडी

बात बीतगी

राजूराम बिजारणियां

तिस सूं नीं मरै’ला

नवनीत पाण्डे

काळ

किशन ‘प्रणय’

बे बिम्ब

आभा मेहता 'उर्मिल'

कठै...

सुनील गज्जाणी

बारी आळी रात

मदन गोपाल लढ़ा

नदी

जगदीश गिरी

सरवर तीरां चांदणी

प्रेमजी ‘प्रेम’

काळ-दुकाळ

प्रेमजी ‘प्रेम’

संझ्या : तीन चतराम

प्रेमजी ‘प्रेम’

सोवन माछळी

सत्यप्रकाश जोशी

दौरो घणो जीणो

कृष्णा आचार्य

म्हारी कविता

लक्ष्मीनारायण रंगा

आषाढी बिरखा

नंदू राजस्थानी

तिराक

मणि मधुकर

रेत

प्रेमलता सोनी

पाणी रौ मोल

नाथूसिंह इंदा

जीव

किशन ‘प्रणय’

बूढ़ा बडेरा टाबर टोळी

कृष्णा आचार्य

तळाव

मणि मधुकर

सावणियो लाग्यो

रामदयाल मेहरा

आजकाल

सत्यनारायण सोनी

आँक न पाणी

शैलेन्द्र उपाध्याय

हेलो पाड़ रे

हरीश भादानी

पाणी

अम्बिका दत्त

पिणघट

शारदा कृष्ण

नहर री मुळक

मदन गोपाल लढ़ा

जुलमी जळ

रतना ‘राहगीर’

दुनिया नौ मोटौ आदमी

भविष्यदत्त ‘भविष्य’

भूखमोचिनी

मदन गोपाल लढ़ा

आपांरै बिचाळै

चन्द्र प्रकाश देवल

पिणघट

नाथूसिंह इंदा

पाणी

जितेन्द्र कुमार सोनी

कविता अर म्हैं

विजयसिंह नाहटा

म्हैं थार रौ कवि

चन्द्र प्रकाश देवल

जळ में

राजेश कुमार व्यास

मिनख वास्ते

सांवर दइया

रेगिस्तान होग्यो

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

जळ

मोहन आलोक

कैक्टस री कांवड़ जातरा

मनीषा आर्य सोनी

बिरावणो कूवो

देवकरण जोशी 'दीपक'

देस मांय

विप्लव व्यास