पाणी पर दूहा

पानी या जल जीवन के अस्तित्व

से जुड़ा द्रव है। यह पाँच मूल तत्त्वों में से एक है। प्रस्तुत चयन में संकलित कविताओं में जल के विभिन्न भावों की प्रमुखता से अभिव्यक्ति हुई है।

दूहा11

चालै पवन अटावरी (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

खेजड़ल्यां री छांह में (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

पान खड़क्क्यां जावता (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

बाजै लू इण बेग सूं (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

भर चोघड़ चालै घरे (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

कूआं सामां आवतां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जळ सो प्यारो जीव (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

चैत

रेवतदान चारण कल्पित

जिण दिस देखो सूवती (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

घड़लै सूं घड़लो घसै (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी