बीं खातर

कदै रात नीं हुवै

बीं खातर

कदै हुवै कोनी दिन

बीं खातर

कदै उगै कोनी सूरज

बीं खातर

कदै उगै कोनी चांद

बा अंधारै सूं चालै

अर अंधारै थमै

अंधारै-अंधारै पूरी करै

आपरी जातरा!

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : थानेश्वर शर्मा
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