दिन पर कवितावां

सूर्योदय से सूर्यास्त

के बीच के समय को दिन कहा जाता है। यह समय, काल, वक़्त का भी अर्थ देता है। दिन समय-संबंधी ही नहीं, जीवन-संबंधी भी है जो रोज़मर्रा के जीवन का हिसाब करता है और इस अर्थ में भाषा द्वारा तलब किया जाता रहता है। इस चयन में प्रस्तुत है—दिन विषयक कविताओं का एक अपूर्व संकलन।

कविता44

मा रिसाणी है

राजूराम बिजारणियां

सतजुग

रामेश्वर दयाल श्रीमाली

बापड़ा दिन रात

ओम पुरोहित ‘कागद’

चिंतावां : न्यारा-न्यारा चितराम

हरिमोहन सारस्वत 'रूंख'

सवाल

मदन गोपाल लढ़ा

जातरा

थानेश्वर शर्मा

काळो अंधियारो

कृष्णा आचार्य

सिंझ्याराग

मणि मधुकर

सोवां

ओम पुरोहित ‘कागद’

परबार

रोशन बाफना

मनक परतेम रेजू रे

कैलाश गिरि गोस्वामी

निवण वीर जवानां नै

रामजीलाल घोड़ेला 'भारती'

माटी जद बात संभाळी

प्रमिला शंकर

आसावर चीड़ी

सत्यदीप ‘अपनत्व’

अेक मिनख रौ दिन

सुरेश पारीक ‘शशिकर’

गोरै दिन रै लारै सिंझ्या

कन्हैयालाल सेठिया

दिन अर रात

राजदीप सिंह इन्दा

दिन

धनिज्या अमरावत

छड़ती छड़ियो

सत्यदीप ‘अपनत्व’

हडूडो

प्रेमजी ‘प्रेम’

दिन

मोहन आलोक

रट्ठ

राजूराम बिजारणियां

अरदास

चन्द्र प्रकाश देवल

अेक मीठौ-मीठौ दन

भविष्यदत्त ‘भविष्य’

चाकरी

मनमीत सोनी

लुकमींचणी

आशा शर्मा

नान्ही कवितावां

लक्ष्मीनारायण रंगा

कियाँ व्है जावै है

जितेन्द्रशंकर बजाड़

आ दिनां

संदीप 'निर्भय'

हींडो

घनश्याम नाथ कच्छावा

बै दिन

मातुसिंह राठौड़

रगत री बिरखा

राजेन्द्र जोशी

गुड़ आळा दिन

चैन सिंह शेखावत

म्हारी साख

मनोज पुरोहित 'अनंत'

म्हारै सूं नीं होवैला

संजय आचार्य 'वरुण'

मिनख री छायां

त्रिभुवन

ऊजळी रात

रचना शेखावत

दिन रा घोबा

इरशाद अज़ीज़

दिन ढळ्यां

थानेश्वर शर्मा

बण सोची ही

सत्यदीप ‘अपनत्व’