तावड़ै दियो पुराणो धान

दाळ चुगती मा

एक उबासी लेवै

घणा दिनां पछै

काको सिकाया भूंगड़ा

ताळ री पाळ माथै बैठ'र खांवता

आवण लागी यादां

गुड़ आळा दिनां री डळ्यां

रामलीला रै पुराणा मैदान में

रातै घणो बरस्यो मेह

गोडां ताईं कादो कादो

पट्टेदार पजामै रै फाटेड़ै टूकड़ै सूं

टाबर पूंछै आपरी साइकिलां

चिड़कल्यां री चिलबिलाट स्यूं पै'ली

सड़क माथै सूणीजै दूधियां री भीड़

रोज दिनूगै छोटकी करै बातां फूलां री

कारखानै रो सायरन दडूकै

चुप कराया न्हाखै।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : चैन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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