स्मृति पर कवितावां

स्मृति एक मानसिक क्रिया

है, जो अर्जित अनुभव को आधार बनाती है और आवश्यकतानुसार इसका पुनरुत्पादन करती है। इसे एक आदर्श पुनरावृत्ति कहा गया है। स्मृतियाँ मानव अस्मिता का आधार कही जाती हैं और नैसर्गिक रूप से हमारी अभिव्यक्तियों का अंग बनती हैं। प्रस्तुत चयन में स्मृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

कविता147

बुगचौ

आईदान सिंह भाटी

याद

विजय राही

ओळूं

आईदान सिंह भाटी

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

गाजर रौ सीरो

अनिला राखेचा

नैनी कवितावां

ओंकार श्री

पैन

हरीश हैरी

गांव री कांदा-रोटी

मृदुला राजपुरोहित

ओळूं घट की कस्तूरी

प्रेमजी ‘प्रेम’

पिताजी-२

ओम पुरोहित ‘कागद’

म्हारी दीठ

अर्जुन देव चारण

म्हारै पुराणियां घर री

मृदुला राजपुरोहित

थेवड़ां री धड़क

मनीषा आर्य सोनी

घर अर फळसौ

आईदान सिंह भाटी

ओळूं ओळावै

संदीप 'निर्भय'

गांधी नै चितारतां

अर्जुन देव चारण

यादगिरी

तेजस मुंगेरिया

चिट्ठी आवै

सवाई सिंह शेखावत

पूठी आय जा मां

सुनील गज्जाणी

याद

कृष्ण कल्पित

लागती ला में उम्बाड़ियं

कैलाश गिरि गोस्वामी

यादां

कैलाश मंडेला

जीसा - कीं चितराम

मीठेश निर्मोही

ओळूं रै आंगणियै

गीतिका पालावात कविया

बटाऊ

दुष्यन्त जोशी

तूं जामण को नरम काळज्यो

प्रेमजी ‘प्रेम’

हिचकी को बुलावो

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

रूंख

चैन सिंह शेखावत

अेक मीठौ-मीठौ दन

भविष्यदत्त ‘भविष्य’

घर बाबत

नीरज दइया

टाबर रा सवाल

नंद भारद्वाज

ओळ्यूं

भारती पुरोहित

कठै गया वै बोलणा

महेन्द्र मील

कोट-दरवाजो

रामनाथ व्यास ‘परिकर’

बाई

अजय कुमार सोनी

मायड़ सूं

प्रेमजी ‘प्रेम’

रूंख रा छोडा

नीरज दइया

सवार

मालचंद तिवाड़ी

कागद

दुष्यन्त जोशी

तू याद कर

हरीश हैरी

चिड़कली

तेजस मुंगेरिया

उपाय

कुमार अजय

घर

सत्यप्रकाश जोशी

छाजळौ

मुकुट मणिराज

प्रेम री बातां

अजय कुमार सोनी