थूं कदैई इतियास मत बणजै!

सागै-सागै जीवण आळी तिथ री पोथी मांय

कठै जोवूंला, कै...

किण दिन थूं म्हंनै चांद कैय 'र बतळायो

किण दिन म्हैं थारै बादळ सरीखै उणियारै मांय अलोप हुई!

किण दिन सोनळियै झांझरकै मांय सूं

ऊगतै आदित् नै देख'र

थारी छिब आंख्या मांय धरी ही!

किण दिन साव दुपारी री बळती लाय

अर लोक लाज सूं बाथेड़ो लेय'र

जाळ रै रूंख हेठै

थारी उडीक सूं बंतळ करतां-करतां

पल्लै रै खूणै नै मोस काढ्यो हो...

किसै वार रै आथूणै जोत करतां थकां

मिंदर री डौढी पर माथो टेकती बखत

तुम बिन और दूजा आस करूं जिसकी

वाळौ आरती रो बंद थनै सूंप्यो हो!

याद राखजै!

मन रो इतियास

तिथ-वार-बरस-जुगां सूं परियां

सांवळी जै'र ओळूवां रो अेक मोवणो चितराम है फगत

मंड्यो रेवैला हरमेस जूण री छेकड़ली सांसां तांई!

म्हैं किसी-किसी ठौड़ अटकाऊंला

हर उण बात रा मांडणा

जिकै रो आगळ दीसै ना अंत!

याद राखजै!

थूं कदैई इतियास मत बणजै॥

स्रोत
  • सिरजक : मनीषा आर्य सोनी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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