या शहर तो खाली नाम को छै

सू चोखो तो गांव ही छै आपणो

कम सू कम आपणा गांव मं

आगरा को पेठो तो मल जाबै छै

जे पैली-पैल मलबा पै तूनै खुआयो छो

मोकू

अैंठी कांई भी तो असी चीज कोनी

जी कू देख’र तोकू म्ह याद करूं

पण चोखो ही छै या सब म्हारै लियां

नतरकी जद-जद याद आबै छै थारी

आत्मा छीज ही जाबै छै म्हारी।

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : विजय राही ,
  • संपादक : रामस्वरूप किसान
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