लोक पर कवितावां

सबदकोसां में लोक रौ

अरथ घणै अरथां में लेईज्यौ है। कठैई इणरौ अरथ 'प्रजा' मानीज्यौ है तो कठैई 'मानखै' रै अरथ में इणनै लीरीज्यौ है। अठै प्रस्तुत रचनावां लोक सबद रै आखती-पाखती रचियोड़ी है।

कविता301

प्रेम री परिभाषा

सत्येन्द्र सिंह चारण झोरड़ा

टावर

देवीलाल महिया

चेतै आयगी मां

आशीष पुरोहित

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

सुभाव

अंजु कल्याणवत

अेक रोटी

विजय राही

म्हूँ जनता हूँ

भगवती लाल व्यास

घूमर

नारायण सिंह भाटी

मायड़ भासा

किरण राजपुरोहित 'नितिला'

सूरमा

पवन सिहाग 'अनाम'

अलमारी

मणि मधुकर

इंकलाब री आँधी

रेवतदान चारण कल्पित

भूतणीं

विमला महरिया 'मौज'

परायो धन

अनुश्री राठौड़

नैनी कवितावां

ओंकार श्री

जठै देखलां भरी परात

आईदान सिंह भाटी

सोरठ

नारायण सिंह भाटी

जिंदगी

उषा राजश्री राठौड़

काको पीवे हो अतरी दारू

उषा राजश्री राठौड़

घर कठै है

अर्जुन देव चारण

प्रणधारी पाबू

महेंद्रसिंह छायण

म्हैं आवूंला जरूर

गोरधन सिंह शेखावत

ओ गांव है

रामस्वरूप किसान

आटा की चालणी

उषा राजश्री राठौड़

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

म्हनै लिखणौ नीं आवै

पवन सिहाग 'अनाम'

जे म्हैं आदमी होऊँ

विमला महरिया 'मौज'

गाम

यतीन्द्र पूनियां

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

पिरोळ में कुत्ती ब्याई

अन्नाराम ‘सुदामा'

याद

विजय राही

करसाण

शिव 'मृदुल'

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

ढाणी

देवीलाल महिया

पगडांडियां

किरण राजपुरोहित 'नितिला'

घोचो

प्रवीण सुथार

भैण-भाई

यतीन्द्र पूनियां

सबदां री हद रै मांय

आईदान सिंह भाटी

म्हारी दीठ

अर्जुन देव चारण

गांव री कांदा-रोटी

मृदुला राजपुरोहित

लुगाई

उषा राजश्री राठौड़

नरकवाड़ौ

मणि मधुकर

जूंझार

गोरधन सिंह शेखावत

हक

रामकुमार भाम्भू

गरमी आई

भगवान सैनी

अंधारपख

श्याम महर्षि

आ हूँ थई ग्यू...

प्रकाश प्रतीक