लोक पर कवितावां

सबदकोसां में लोक रौ

अरथ घणै अरथां में लेईज्यौ है। कठैई इणरौ अरथ 'प्रजा' मानीज्यौ है तो कठैई 'मानखै' रै अरथ में इणनै लीरीज्यौ है। अठै प्रस्तुत रचनावां लोक सबद रै आखती-पाखती रचियोड़ी है।

कविता324

प्रेम री परिभाषा

सत्येंद्र चारण

इंकलाब री आँधी

रेवतदान चारण कल्पित

चंवरी

मेघराज मुकुल

टावर

देवीलाल महिया

मायड़ भासा

किरण राजपुरोहित 'नितिला'

पिरोळ में कुत्ती ब्याई

अन्नाराम ‘सुदामा'

याद

विजय राही

चेतै आयगी मां

आशीष पुरोहित

म्हैं आवूंला जरूर

गोरधन सिंह शेखावत

स्वाद

आईदान सिंह भाटी

कठा सूं आवै है सबद

भगवती लाल व्यास

सुभाव

अंजु कल्याणवत

सूरमा

पवन सिहाग 'अनाम'

अलमारी

मणि मधुकर

भूतणीं

विमला महरिया 'मौज'

करसाण

शिव 'मृदुल'

प्रवासी

चन्द्र प्रकाश देवल

सोरठ

नारायण सिंह भाटी

घर कठै है

अर्जुन देव चारण

परायो धन

अनुश्री राठौड़

नैनी कवितावां

ओंकार श्री

जिंदगी

उषा राजश्री राठौड़

काको पीवे हो अतरी दारू

उषा राजश्री राठौड़

जठै देखलां भरी परात

आईदान सिंह भाटी

म्हनै लिखणौ नीं आवै

पवन सिहाग 'अनाम'

थारी अर म्हारी बात

आईदान सिंह भाटी

जे म्हैं आदमी होऊँ

विमला महरिया 'मौज'

ओ गांव है

रामस्वरूप किसान

आटा की चालणी

उषा राजश्री राठौड़

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

पगडांडियां

किरण राजपुरोहित 'नितिला'

सबदां री हद रै मांय

आईदान सिंह भाटी

रोयां रुजगार मिळै कोनीं

रेवतदान चारण कल्पित

प्रणधारी पाबू

महेंद्रसिंह छायण

ढाणी

देवीलाल महिया

भैण-भाई

यतीन्द्र पूनियां

लुगाई

उषा राजश्री राठौड़

म्हारी दीठ

अर्जुन देव चारण

गांव री कांदा-रोटी

मृदुला राजपुरोहित

रंग विहूणौ

महेंद्रसिंह छायण

म्हूँ जनता हूँ

भगवती लाल व्यास

अेक रोटी

विजय राही

घूमर

नारायण सिंह भाटी

घोचो

प्रवीण सुथार

चेत मांनखा

रेवतदान चारण कल्पित

बळै तौ कांई?

शैलेन्द्र सिंह नूंदड़ा

मंहदी नागरबेल

प्रेमजी ‘प्रेम’