लोक पर दूहा

सबदकोसां में लोक रौ

अरथ घणै अरथां में लेईज्यौ है। कठैई इणरौ अरथ 'प्रजा' मानीज्यौ है तो कठैई 'मानखै' रै अरथ में इणनै लीरीज्यौ है। अठै प्रस्तुत रचनावां लोक सबद रै आखती-पाखती रचियोड़ी है।

दूहा15

इकतारो अर गीतड़ा

भागीरथसिंह भाग्य

दारू पीवै आपजी

भागीरथसिंह भाग्य

चपड़ासी है साव रो

भागीरथसिंह भाग्य

भांत भांत री बात है

भागीरथसिंह भाग्य

ना सुख चावु सुरग रो

भागीरथसिंह भाग्य

लोग न जाणै कायदा

भागीरथसिंह भाग्य

जमती हूसी मैफलां

भागीरथसिंह भाग्य

पाती लेज्या डाकिया

भागीरथसिंह भाग्य

काळ रा दूहा

रेवतदान चारण कल्पित

बेली तरसै गाँव मँ

भागीरथसिंह भाग्य

चैत चुरावै चित्त नै

भागीरथसिंह भाग्य

बैठ भलाई डागळै

भागीरथसिंह भाग्य

गळे मसीनां मँ सदां

भागीरथसिंह भाग्य

सांवण

रेवतदान चारण कल्पित

भादरवौ

रेवतदान चारण कल्पित