इकतारो अर गीतड़ा, जोगी री जागीर।

घिरता-फिरता पावणां, घर-घर थारो सीर॥

स्रोत
  • पोथी : दरद दिसावर ,
  • सिरजक : भागीरथसिंह भाग्य
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