दारू पीवै आपजी, टूट्यो पड़यो गिलास।

पी कै बोलै फारसी, पढ्या अेक किलास॥

स्रोत
  • पोथी : दरद दिसावर ,
  • सिरजक : भागीरथसिंह भाग्य
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