लोक पर गीत

सबदकोसां में लोक रौ

अरथ घणै अरथां में लेईज्यौ है। कठैई इणरौ अरथ 'प्रजा' मानीज्यौ है तो कठैई 'मानखै' रै अरथ में इणनै लीरीज्यौ है। अठै प्रस्तुत रचनावां लोक सबद रै आखती-पाखती रचियोड़ी है।

गीत78

मुरधर म्हारो देस

कानदान ‘कल्पित’

कामणी

मोहम्मद सदीक

गांव

मुकुट मणिराज

हब्बीड़ो

कानदान ‘कल्पित’

बाबा थारी बकरियां

मोहम्मद सदीक

हालो हेमाळे

कानदान ‘कल्पित’

लिछमी

रेवतदान चारण कल्पित

सुणज्यो नेताजी

कानदान ‘कल्पित’

उडीक

मेघराज मुकुल

मन रो मान सरोवर

मोहम्मद सदीक

गीत : पिणघट रो

ओंकार श्री

चुणाव रौ चत्रमासौ

शक्तिदान कविया

फूल फूल रौ मोल

कल्याणसिंह राजावत

चांदो रुप रो डळो

मोहन मण्डेला

अेक बटावू भटकै

किशोर कल्पनाकान्त

ओळमो

मुकुट मणिराज

नुंवली गीता रो ज्ञान

किशोर कल्पनाकान्त

पड़दै रै भीतर

कानदान ‘कल्पित’

सन्यासी

भागीरथसिंह भाग्य

मरवण! तार बजा

किशोर कल्पनाकान्त

तोरण

किशन लाल वर्मा

मौत सांसां नै छलगी रे

भागीरथसिंह भाग्य

तामझामसा

मोहम्मद सदीक

होळी गावण दे

कल्याणसिंह राजावत

सात जुगां रौ लेखौ

रेवतदान चारण कल्पित

दोघड़ क्यूं रीती थारी?

किशोर कल्पनाकान्त

फूलियै री मा

गजानन वर्मा

निदांण

रेवतदान चारण कल्पित

गीत : राईकै रो

ओंकार श्री

मास बरसालो आयो रे

कानदान ‘कल्पित’

पग डांडी रा मोड़

मोहम्मद सदीक

सावण में नी आवड़ै

किशोर कल्पनाकान्त

दुख री लागी दूणा

मोहम्मद सदीक

मूळ कठै अर डाळ कठै

कल्याणसिंह राजावत

धर कूचां

गजानन वर्मा

अपणायत इसी जगा ले तूं

मुनि बुद्धमल्ल

कोई गीता गाई व्हैला

कानदान ‘कल्पित’

महिनो फागण रो

कानदान ‘कल्पित’

आलीजौ भंवर

रेवतदान चारण कल्पित

जाणे कुण?

किशन लाल वर्मा

गीत : बिलोवणै रो

ओंकार श्री

गुल्ली डंडा

मोहन मण्डेला

मतवाली जोगण

किशन लाल वर्मा

कठीकर आवै अे?

किशोर कल्पनाकान्त

बायरियौ

रेवतदान चारण कल्पित