लोक पर गीत

सबदकोसां में लोक रौ

अरथ घणै अरथां में लेईज्यौ है। कठैई इणरौ अरथ 'प्रजा' मानीज्यौ है तो कठैई 'मानखै' रै अरथ में इणनै लीरीज्यौ है। अठै प्रस्तुत रचनावां लोक सबद रै आखती-पाखती रचियोड़ी है।

गीत60

मुरधर म्हारो देस

कानदान ‘कल्पित’

कामणी

मोहम्मद सदीक

बाबा थारी बकरियां

मोहम्मद सदीक

सुणज्यो नेताजी

कानदान ‘कल्पित’

म्हांरी माटी म्हांरी मा

बुलाकी दास बावरा

आंसू क्यूं बरसावै?

किशोर कल्पनाकान्त

बिदाई

प्रभात

मन रो मान सरोवर

मोहम्मद सदीक

फूल फूल रौ मोल

कल्याणसिंह राजावत

अेक बटावू भटकै

किशोर कल्पनाकान्त

नुंवली गीता रो ज्ञान

किशोर कल्पनाकान्त

पड़दै रै भीतर

कानदान ‘कल्पित’

सन्यासी

भागीरथसिंह भाग्य

मरवण! तार बजा

किशोर कल्पनाकान्त

तोरण

किशन लाल वर्मा

मौत सांसां नै छलगी रे

भागीरथसिंह भाग्य

तामझामसा

मोहम्मद सदीक

होळी गावण दे

कल्याणसिंह राजावत

सात जुगां रौ लेखौ

रेवतदान कल्पित

दोघड़ क्यूं रीती थारी?

किशोर कल्पनाकान्त

फूलियै री मा

गजानन वर्मा

निदांण

रेवतदान कल्पित

हालो हेमाळे

कानदान ‘कल्पित’

धर कूचां

गजानन वर्मा

अपणायत इसी जगा ले तूं

मुनि बुद्धमल्ल

कोई गीता गाई व्हैला

कानदान ‘कल्पित’

महिनो फागण रो

कानदान ‘कल्पित’

आलीजौ भंवर

रेवतदान कल्पित

जाणे कुण?

किशन लाल वर्मा

मतवाली जोगण

किशन लाल वर्मा

कठीकर आवै अे?

किशोर कल्पनाकान्त

लिछमी

रेवतदान कल्पित

मास बरसालो आयो रे

कानदान ‘कल्पित’

पग डांडी रा मोड़

मोहम्मद सदीक

सावण में नी आवड़ै

किशोर कल्पनाकान्त

दुख री लागी दूणा

मोहम्मद सदीक

मूळ कठै अर डाळ कठै

कल्याणसिंह राजावत

बायरियौ

रेवतदान कल्पित

माणीगर आवै है

किशोर कल्पनाकान्त

डर सूं डरो

मोहम्मद सदीक

जद झुकै सीस

मनुज देपावत

पणिहारी

बुलाकी दास बावरा

पीहर की पगडण्डी

किशन लाल वर्मा

फागण आयो राज

किशोर कल्पनाकान्त

हाळी हलकारौ दे

गजानन वर्मा

सवारता–सवारता

कानदान ‘कल्पित’