कीकर बिसराय दै रात

दिन रौ लाड

जिणरै उजास में

पगलिया भरती पावै वा

पळकतौ पुरुसार्थ!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : धनिज्या अमराव ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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