अेक आगोतर

अेक आज

अेक बीत्यौ काल

कीं भी तो नीं है इण रे परबार

अर जांण नीं सक्या इणी नैं

कदै बीत्यौड़े रा भुगता

अर

कदै-कदै इत्ता उखड़ जावां

लागै आगोतर भी नीं सुधार पावां

जाणां नीं है जको साच

वो है आज रो आज

हमेस

जद निकळ जावै आज

चावां फेर मिळ जावै अेक

काल जिस्यौ आज

स्रोत
  • पोथी : इत्ती सी तो बात है ,
  • सिरजक : रोशन बाफना ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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