आसावर चीड़ी

बोलै कम

भूंवै बती

तिणको-तिणको

टंटोळै

जियां टंटोळै

अंतस पट खोल

अनंत नै कोई

जोगी जती।

डरै

आं दिनां

कांड्यां री

पूंच सूं

सिकरै री

चूंच सूं...

जतन जाबता करै

चिड़कली

आं दिनां!

स्रोत
  • सिरजक : सत्यदीप 'अपनत्व' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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