आसावर चीड़ी बण सोची ही बसंत कद आवसी छड़ती छड़ियो चिटली पर चांद गताघम जांवता हा कविता हुवणी चावै नटरू रठ में ठर सुण साथी म्हारा ठाह कद होसी