स्त्री पर कवितावां

स्त्री-विमर्श भारतीय

समाज और साहित्य में उभरे सबसे महत्त्वपूर्ण विमर्शों में से एक है। स्त्री-जीवन, स्त्री-मुक्ति, स्त्री-अधिकार और मर्दवाद और पितृसत्ता से स्त्री-संघर्ष को हिंदी कविता ने एक अरसे से अपना आधार बनाया हुआ है। प्रस्तुत चयन हिंदी कविता में इस स्त्री-स्वर को ही समर्पित है, पुरुष भी जिसमें अपना स्वर प्राय: मिलाते रहते हैं।

कविता70

आजादी

सीमा भाटी

चुड़लौ

विवेकदीप बौद्ध

बात

मोनिका गढ़वाल

चाँद अर बा

थानेश्वर शर्मा

दीठ : दो दरसाव

मोनिका गौड़

कन्या शतक सूं

रेखा व्यास

कांई थांको नांव

सतीश गोल्याण

बीनणी दफ्तर वाळी

सुनीता बिश्नोलिया

कलो री कला

सतीश गोल्याण

जीण कठै है?

गीता सामौर

पाटी

मोनिका गौड़

लुगाई रौ आपौ

सावित्री डागा

बे रूप

मधुकर बनकोड़ा

नसबन्दी

बी एल पारस

अंगरेजणी

बी एल पारस

स्वयंवर

कमल रंगा

स्यात यूं मुळकै

सतीश छिम्पा

अग्नि परीक्षा

दीनदयाल शर्मा

वो चेहरौ

धनंजया अमरावत

मिनख-लुगाई

जितेन्द्र कुमार सोनी

कांई थांको नांव

सतीश गोल्याण

म्हैं लुगाई हूँ

यूसुफ खान साहिल

कतनी बार मरूं

रघुराजसिंह हाड़ा

रखवाला

छोटूराम मीणा

तार-तार सपना

रचना शेखावत

म्हारौ बेरौ

धनंजया अमरावत

सगुन

ओम नागर

इज्जत

संतोष चौधरी

पीपळो

आभा मेहता 'उर्मिल'

आजै ई सिळगै

चैन सिंह शेखावत

दोरौ जीवण द्रौपदी

भंवरलाल सुथार

धन

धनंजया अमरावत

सै सूं सुन्दर पुसब

रेणुका व्यास 'नीलम'

वउ नी परबात

मणि बावरा

म्हैं पीपळ हूं

मोनिका गौड़

बेघर

थानेश्वर शर्मा

बांझड़ौ सोच

सुशीला ढाका

खेल-खेल में

सन्तोष मायामोहन

कुलदीपा

श्यामसुन्दर टेलर

भारत री छत्राणी

गजादान चारण ‘शक्तिसुत’

जीवन

मोनिका गौड़

बोल भारमली

सत्यप्रकाश जोशी

राजस्थानी नारी

रामदेव आचार्य

ललद्यद सूं बंतळ

चन्द्र प्रकाश देवल