बेरोज़गारी पर कवितावां

बेकारी या बेरोज़गारी

आधुनिक राज-समाज की एक प्रमुख समस्या है। अपने निजी अनुभवों के आधार पर इस संकट की अभिव्यक्ति विभिन्न कवियों द्वारा की गई है। प्रस्तुत चयन में ऐसी ही कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता5

गूँगलो

ओम पुरोहित ‘कागद’

हिसाब री वसूली

अर्जुन देव चारण

मैं गयो जीतबा नै चुणात

बुद्धिप्रकाश पारीक