जूण पर कवितावां

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता359

काची-पाकी जूण

आशीष पुरोहित

सूरमा

पवन सिहाग 'अनाम'

भड़ास

विमला महरिया 'मौज'

आ दिनां

संदीप 'निर्भय'

हरिया रूंख

अंजु कल्याणवत

पिरोळ में कुत्ती ब्याई

अन्नाराम ‘सुदामा'

सांझ-सुंदरी

महेंद्रसिंह छायण

परेम

अंजु कल्याणवत

सवाल रेखागणित रो

चेतन स्वामी

इण तरै रा सून्याड़ में

भगवती लाल व्यास

गांव री कांदा-रोटी

मृदुला राजपुरोहित

अंतस रो दीवो

सुमन बिस्सा

धुड़कै जूण

राजूराम बिजारणियां

सतिये नै सीख

सत्येन्द्र सिंह चारण झोरड़ा

मिनख री सुतंतरता

रेणुका व्यास 'नीलम'

अरे बुझागड़!

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

बदळाव

कृष्ण कल्पित

सोजती गेट

मणि मधुकर

जीवण को जंजाळ

मंजू किशोर 'रश्मि'

ठक-ठक

कैलाश कबीर

सड़क

सीमा पारीक

उडीक

पारस अरोड़ा

एक बुद्ध अर तीन साँच

भगवती लाल व्यास

हींडो

घनश्याम नाथ कच्छावा

कवि

घनश्याम नाथ कच्छावा

होतब-अण होतब

अम्बिका दत्त

बाजो

सत्यनारायण ‘सत्य’

हुं बणी जीवं?

राजेश जैन ‘राज’

दरद

रमेश मयंक

उत्तर-आधुनिक वेळा में

चन्द्र प्रकाश देवल

तावड़ियौ

नरेश व्यास

म्हैं थार रौ कवि

चन्द्र प्रकाश देवल

जूझ

गौतम अरोड़ा

गांव

गोरधन सिंह शेखावत

सुखसाज

मणि मधुकर

वउ नी परबात

मणि बावरा

गूंग रो घून्ट

मोहम्मद सदीक

भूल-बूंटी*

चन्द्र प्रकाश देवल

औ जमारौ

सुधीर राखेचा

मारग रै सीगै

चन्द्र प्रकाश देवल

मौत रौ मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

चौरौ

भोगीलाल पाटीदार

दूजौ

मणि मधुकर

हीक

उपेन्द्र अणु

जूण जातरा

राजेश कुमार व्यास