जूण पर कवितावां

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता244

काची-पाकी जूण

आशीष पुरोहित

मिनख री सुतंतरता

रेणुका व्यास 'नीलम'

अरे बुझागड़!

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

हरिया रूंख

अंजु कल्याणवत

अंतस रो दीवो

सुमन बिस्सा

सतिये नै सीख

सत्येन्द्र सिंह चारण झोरड़ा

धुड़कै जूण

राजूराम बिजारणियां

परेम

अंजु कल्याणवत

इण तरै रा सून्याड़ में

भगवती लाल व्यास

सूरमा

पवन सिहाग 'अनाम'

पिरोळ में कुत्ती ब्याई

अन्नाराम ‘सुदामा’

भड़ास

विमला महरिया 'मौज'

सराप

रचना शेखावत

मयलौ

उपेन्द्र अणु

अर खाक हो जाऊंगो म्हूं

हेमन्त गुप्ता पंकज

जूण

चैन सिंह शेखावत

जीवन रो उनाळो

राजेन्द्र सिंह चारण

सोवन माछळी

सत्यप्रकाश जोशी

दौरो घणो जीणो

कृष्णा आचार्य

घाणी रौ बळद

वाज़िद हसन काजी

अंधारी-जातरा

किशोर कल्पनाकान्त

जावतो रैयो बंजरपणो

संदीप 'निर्भय'

दो कवितावां

उपेन्द्र अणु

चिंता नीं करणी

नगेन्द्र नारायण किराडू

दुहागण रौ दरद

निर्मला राठौड़

कीं नान्ही कवितावां (क्षणिका)

घनश्याम नाथ कच्छावा

कीड़ी चुगो

भगवती लाल व्यास

म्हारी सूरत

मोहन पुरी

रसोई

गौरी शंकर निम्मीवाल

मुरझायोड़ो पल

गोरधन सिंह शेखावत

जुद्ध रो घाव

रामजीलाल घोड़ेला 'भारती'

रेत राज

ऋतु शर्मा

जीवण-जोत

सत्यप्रकाश जोशी

पाप-बोध

सत्यप्रकाश जोशी

मांचो

पूनमचंद गोदारा

लुगाई री ओळखाण

मीनाक्षी बोराणा

मानखै री पत

मोहम्मद सदीक

घूमर

नारायण सिंह भाटी

जतन

सुनील गज्जाणी

बाटियो

घनश्याम नाथ कच्छावा

बदळाव

कृष्ण कल्पित

बड़ा शहर को आदमी

देवेश पथ सारिया

जीवड़ा (83)

सुंदर पारख

चांदणी पील्यां

रघुराजसिंह हाड़ा

तौले जूण

संदीप 'निर्भय'