जूण पर गीत

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

गीत56

रण-लोरी

मेघराज मुकुल

गा लेवूं पूरौ गीत

किशोर कल्पनाकान्त

थोड़ी-सी जिंदगाणी में

कानदान ‘कल्पित’

मनभावण बसंत आयो री

चंद्र सिंह बिरकाळी

नांव सुमरणौ भूल्यौ

किशोर कल्पनाकान्त

जीवण नद यूं बहतो जावै

चंद्र सिंह बिरकाळी

हाळी हलकारौ दे

गजानन वर्मा

सवारता–सवारता

कानदान ‘कल्पित’

रुत अलबेली

गजानन वर्मा

कथना-तणौ गीत

किशोर कल्पनाकान्त

दीवाळी रो गीत

गजानन वर्मा

नूवां अरथ

मोहम्मद सदीक

उड़ जाऊंगी री मां

दुर्गादान सिंह गौड़

जिनगाणी

रामनिवास सोनी

पनवाड़ी

मुकुट मणिराज

चाक पै

दुर्गादान सिंह गौड़

डर सूं डरो

मोहम्मद सदीक

हालरियौ

रेवतदान चारण कल्पित

पग डांडी रा मोड़

मोहम्मद सदीक

रात घणेरी प्यारी

किशोर कल्पनाकान्त

लोह्या का दन

मुकुट मणिराज

धुण रे पिंजारा

गजानन वर्मा

ढळती छाया है

कानदान ‘कल्पित’

आंसू क्यूं बरसावै?

किशोर कल्पनाकान्त

आजादी

मोहम्मद सदीक

मन घोड़ो बिना लगाम रो

कानदान ‘कल्पित’

मन रो मान सरोवर

मोहम्मद सदीक

उडीक रौ गीत

किशोर कल्पनाकान्त

सप्पमपाट

मोहम्मद सदीक

रंगीली बरसात

किशन लाल वर्मा

आंसू कहाणी

किशोर कल्पनाकान्त

कुण कुण नै बिलमासी

कल्याणसिंह राजावत

सन्यासी

भागीरथसिंह भाग्य

मौत

किशोर कल्पनाकान्त

जोख्यूं लख अनेक

मोहम्मद सदीक

मूळ कठै अर डाळ कठै

कल्याणसिंह राजावत

दुख-सुख

किशोर कल्पनाकान्त

घणै ठाठ सूं खेवण लाग्यो

चंद्र सिंह बिरकाळी

सीपी, पाळ पेट में मोती

कन्हैयालाल सेठिया

भाई रो भाईपणो

कानदान ‘कल्पित’

सात जुगां रौ लेखौ

रेवतदान चारण कल्पित

दोघड़ क्यूं रीती थारी?

किशोर कल्पनाकान्त

डूंगर

सुनीता बिश्नोलिया

फूलियै री मा

गजानन वर्मा

गाड़ियो लुहार

मुकुट मणिराज

धर कूचां

गजानन वर्मा