जूण पर गीत

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

गीत32

थोड़ी-सी जिंदगाणी में

कानदान ‘कल्पित’

ढळती छाया है

कानदान ‘कल्पित’

मन घोड़ो बिना लगाम रो

कानदान ‘कल्पित’

रंगीली बरसात

किशन लाल वर्मा

कुण कुण नै बिलमासी

कल्याणसिंह राजावत

सन्यासी

भागीरथसिंह भाग्य

जिनगाणी

रामनिवास सोनी

पनवाड़ी

मुकुट मणिराज

डर सूं डरो

मोहम्मद सदीक

हालरियौ

रेवतदान चारण कल्पित

हाळी हलकारौ दे

गजानन वर्मा

सवारता–सवारता

कानदान ‘कल्पित’

रुत अलबेली

गजानन वर्मा

दीवाळी रो गीत

गजानन वर्मा

नूवां अरथ

मोहम्मद सदीक

गाड़ियो लुहार

मुकुट मणिराज

धर कूचां

गजानन वर्मा

कोरा कागजां साथै

अनिला राखेचा

कद तांई दुख नै पीणौ है?

बी. आर. प्रजापति

मास बरसालो आयो रे

कानदान ‘कल्पित’

रात घणेरी प्यारी

किशोर कल्पनाकान्त

लोह्या का दन

मुकुट मणिराज

जोख्यूं लख अनेक

मोहम्मद सदीक

मूळ कठै अर डाळ कठै

कल्याणसिंह राजावत

भाई रो भाईपणो

कानदान ‘कल्पित’

सात जुगां रौ लेखौ

रेवतदान चारण कल्पित

दोघड़ क्यूं रीती थारी?

किशोर कल्पनाकान्त

डूंगर

सुनीता बिश्नोलिया