जूण पर दूहा

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

दूहा21

दूहा

आशा पाण्डेय ओझा

ऊमर तो बोळी गई

लालनाथ जी

सांवण

रेवतदान चारण कल्पित

जूण-जातरा

नवल जोशी

दोहा : भोजन

जयसिंह आशावत

जीवण दाता वादळ्यां (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

मायड़ रा मोह नै

प्रह्लाद सिंह राजपुरोहित

मरुधर म्हानै पोखिया

चंद्र सिंह बिरकाळी

काळ बरस रौ बारामासौ

रेवतदान चारण कल्पित

भर चोघड़ चालै घरे (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जमती हूसी मैफलां

भागीरथसिंह भाग्य

हेत रा दूहा

भगवती लाल व्यास

चूण लेण रै चाव में (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

दो आतुर मन मिलण नै (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

फागण

रेवतदान चारण कल्पित

सूरज किरणां चाव में (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

जीवण नै सह तरसिया (बादळी)

चंद्र सिंह बिरकाळी

मिनखा देही पाय कर

सांईदीन दरवेश

घर, गळियारा, सायना

भागीरथसिंह भाग्य

तेज घमकतो तावड़ो (लू)

चंद्र सिंह बिरकाळी

औ सांसा झालणा पड़ैला!

विनोद सारस्वत