जूण पर दूहा

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

दूहा11

ऊमर तो बोळी गई

लालनाथ जी

दूहा

आशा पाण्डेय ओझा

काळ बरस रौ बारामासौ

रेवतदान चारण कल्पित

जमती हूसी मैफलां

भागीरथसिंह भाग्य

मिनखा देही पाय कर

सांईदीन दरवेश

घर, गळियारा, सायना

भागीरथसिंह भाग्य

औ सांसा झालणा पड़ैला!

विनोद सारस्वत

सांवण

रेवतदान चारण कल्पित

जूण-जातरा

नवल जोशी

दोहा : भोजन

जयसिंह आशावत

मायड़ रा मोह नै

प्रह्लाद सिंह राजपुरोहित