जूण पर दूहा

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

दूहा8

ऊमर तो बोळी गई

लालनाथ जी

जूण-जातरा

नवल जोशी

दोहा : भोजन

जयसिंह आशावत

दूहा

आशा पाण्डेय ओझा

जमती हूसी मैफलां

भागीरथसिंह भाग्य

मिनखा देही पाय कर

सांईदीन दरवेश

घर, गळियारा, सायना

भागीरथसिंह भाग्य

औ सांसा झालणा पड़ैला!

विनोद सारस्वत