जूण पर ग़ज़ल

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

ग़ज़ल16

पाणी आडी पाळ खेजड़ी

गोकुल खिड़िया

बात बात पर अड़णो के

राजूराम बिजारणियां

घणो काळज्यो खायो

शांति भारद्वाज 'राकेश'

ग़ज़ल

शांति भारद्वाज 'राकेश'

धूड पर जाजम धरो री ढाल़ दूं

नरपत आशिया "वैतालिक"

मत चिलकावै ठाठ भायला

जयकुमार ‘रुसवा’

जीवण रो दै मोल भलोड़ा

अब्दुल समद ‘राही’

जिन्दगी

अब्दुल समद ‘राही’

फूंक दे, फूंक! आग चेतेगा

पुष्कर 'गुप्तेश्वर'