जातरा पर कवितावां

यात्राएँ जीवन के अनुभवों

के विस्तार के साथ मानव के बौद्धिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। स्वयं जीवन को भी एक यात्रा कहा गया है। प्राचीन समय से ही कवि और मनीषी यात्राओं को महत्त्व देते रहे हैं। ऐतरेय ब्राह्मण में ध्वनित ‘चरैवेति चरैवेति’ या पंचतंत्र में अभिव्यक्त ‘पर्यटन् पृथिवीं सर्वां, गुणान्वेषणतत्परः’ (जो गुणों की खोज में अग्रसर हैं, वे संपूर्ण पृथ्वी का भ्रमण करते हैं) इसी की पुष्टि है। यहाँ प्रस्तुत है—यात्रा के विविध आयामों को साकार करती कविताओं का एक व्यापक और विशेष चयन।

कविता27

जातरा

किशन ‘प्रणय’

जातरा

सोनाली सुथार

डांडी सूं अणजाण

सतीश छिम्पा

जातरा

विप्लव व्यास

वा ई कथा

नैनमल जैन

सीट मिलेगी प्लीज।

मदन गोपाल लढ़ा

दीतवार रै दिन

भगवती लाल व्यास

अनंत जात्रा

कृष्ण बृहस्पति

जातरा

सत्यप्रकाश जोशी

जात्रा

सतीश छिम्पा

जातरा

प्रेमजी ‘प्रेम’

जूण जातरा

संजय पुरोहित

ओस री बूंदां

सुनील गज्जाणी

अखूट जातरा में

ओम पुरोहित ‘कागद’

अंधारै रा घाव

पारस अरोड़ा

रूंख साख भरै

राजेश कुमार व्यास

तूटणौ अर बिखरणौ

तेजस मुंगेरिया

सिरहाणैं

मनमीत सोनी

टोळो

नाथूसिंह इंदा

जूण जातरा

राजेश कुमार व्यास

ऊजड़ चूल्हां री राख

रामस्वरूप किसान

नदी, नदी ही नीं है

वासु आचार्य

अेक जातरू ज्यूं

पुनीत कुमार रंगा

वा भटकै है

चंद्रशेखर अरोड़ा

नासेटू री जूंण-जातरा

महेंद्रसिंह छायण

जूणजातरू

खेतदान

जात्रा

अर्जुन अरविन्द