तूटणौ

भरै है आकार अेक रोड़ै पाथर मांय,

बिखरणौ

जीवण दिरावै है अेक बीज नै,

कै बिखरणौ अर तूटणौ

नीं हुवै हरेक बार नुकसाण,

कै बिखरणौ अर तूटणौ

नीं हुवै एक सगळां रै साथ रौ उछब,

केई सुधार हुया करै छाना-माना,

आतम री अदीठी गळियां मांय।

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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