टसकतो अंधारो

मांडै आंकड़्यां

बिखरयोड़ै सपनां,

धूजतै हाथां री,

जूण जातरा री।

उदमाद उजास

सोधै उण संगीत नैं

हवळै-हवळै पसरै जको—

इळा री पुड़तां पर

जगावै जको

जूनी ओळूं।

माळा रा मिणिया है

म्हारा हेला।

आव आपां

अंवेरां—

बै गोखड़ा

जठै सूं

पसरै डील मांय

धवळो उजास।

स्रोत
  • पोथी : दीठ रै पार ,
  • सिरजक : राजेश कुमार व्यास ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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