प्रतिरोध पर कवितावां

आधुनिक कविता ने प्रतिरोध

को बुनियादी कर्तव्य की तरह बरता है। यह प्रतिरोध उस प्रत्येक प्रवृत्ति और स्थिति के विरुद्ध मुखर रहा है, जो मानव-जीवन और गरिमा की आदर्श स्थितियों और मूल्यों पर आघात करती हो। यहाँ प्रस्तुत है—प्रतिरोध विषयक कविताओं का एक व्यापक और विशिष्ट चयन।

कविता159

औ कुण आयो, औ कुण आयो?

आईदान सिंह भाटी

इंकलाब री आँधी

रेवतदान चारण कल्पित

आजादी री जीत कठै है

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

थूं कद जीवती ही मां

अर्जुन देव चारण

चेत मांनखा

रेवतदान चारण कल्पित

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

रोयां रुजगार मिळै कोनीं

रेवतदान चारण कल्पित

सूरमा

पवन सिहाग 'अनाम'

कविता नै फांसी !

कन्हैयालाल सेठिया

नैनी कवितावां

ओंकार श्री

आ जन कवि री जुग वांणी

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

म्हनै लिखणौ नीं आवै

पवन सिहाग 'अनाम'

संकल्प

बी एल पारस

पांखी री पीड़

भगवती लाल व्यास

माटी थनै बोलणौ पड़सी

रेवतदान चारण कल्पित

म्हैं

मोहन आलोक

दल्ला

उम्मेद गोठवाल

ऐवुस थ्यु वैगा

भविष्यदत्त ‘भविष्य’

अणगायो-गीत

किशोर कल्पनाकान्त

मूंन रौ जलमणौ

चन्द्र प्रकाश देवल

अजै जैन स्यापौ हैं

उम्मेद गोठवाल

चेत मानखा चेत

मोहम्मद सदीक

हक

रामकुमार भाम्भू

लाचारी

मणि मधुकर

नुवौं रूप

पारस अरोड़ा

हिसाब

पारस अरोड़ा

नरकवाड़ौ

मणि मधुकर

म्हैं अन्नदाता कोनी

रामस्वरूप किसान

जसमल : जन्ता

मणि मधुकर

गळती आपणीं

सिया चौधरी

उमादे

अर्जुन देव चारण

बोलै सरणाटो

हरीश भादानी

जथारथ री छिब

चन्द्र प्रकाश देवल

उगायो भोर रो तारो

भीम पांडिया

कीकर है मां?

शंकरसिंह राजपुरोहित

आंमनौ

रेवतदान चारण कल्पित

सरनामू

भोगीलाल पाटीदार

लावौ दौ माचिस

पारस अरोड़ा

बिरछ

मोहन आलोक

इतिहास-पख

पारस अरोड़ा

स्याबास

गोरधन सिंह शेखावत

इण जुग रा इकबार

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

सिध-जोगी

मणि मधुकर

गारड़ी

मणि मधुकर

मानखो

मोहम्मद सदीक