प्रतिरोध पर गीत

आधुनिक कविता ने प्रतिरोध

को बुनियादी कर्तव्य की तरह बरता है। यह प्रतिरोध उस प्रत्येक प्रवृत्ति और स्थिति के विरुद्ध मुखर रहा है, जो मानव-जीवन और गरिमा की आदर्श स्थितियों और मूल्यों पर आघात करती हो। यहाँ प्रस्तुत है—प्रतिरोध विषयक कविताओं का एक व्यापक और विशिष्ट चयन।

गीत12

धोरां आळा देस जाग

मनुज देपावत

माटी रौ हेलौ

रेवतदान चारण कल्पित

मन की बुझाऊं

मुकुट मणिराज

गीत धरणै री साख रौ

शक्तिदान कविया

बटोई

किशन लाल वर्मा

सात जुगां रौ लेखौ

रेवतदान चारण कल्पित

निदांण

रेवतदान चारण कल्पित

बळबळती बात

तेजस मुंगेरिया

जद झुकै सीस

मनुज देपावत