प्रतिरोध पर दूहा

आधुनिक कविता ने प्रतिरोध

को बुनियादी कर्तव्य की तरह बरता है। यह प्रतिरोध उस प्रत्येक प्रवृत्ति और स्थिति के विरुद्ध मुखर रहा है, जो मानव-जीवन और गरिमा की आदर्श स्थितियों और मूल्यों पर आघात करती हो। यहाँ प्रस्तुत है—प्रतिरोध विषयक कविताओं का एक व्यापक और विशिष्ट चयन।

दूहा1

काळ रा दूहा

रेवतदान चारण कल्पित