म्हनै लिखणौ नीं आवै,

साच्याणीं म्हनै लिखणौ नीं आवै।

म्हैं नीं लिख सकूं

गळी माय फिरती मंगती री पीड़।

म्हैं नीं लिख सकूं

रेत माय खेचळ करतै किरसे रै मन री बात।

म्हैं नीं लिख सकूं

तावड़े मांय लो कूटते,

रुधे लुहार री अबखायां।

म्हैं नीं लिख सकूं

म्हारै बापू री टूट्योड़ी

जूती री कीमत।

नीं लिख सकूं म्हैं

दस साल रै टाबर रै सर माथै

थरपीजैड़ी तगारी री कहाणी।

म्हैं नीं लिख सकूं

के म्हैं जात अर धरम री दुनिया मांय

दलीज्योड़ो मिनख हूँ।

म्हैं नीं लिख सकूं

अंबानी अर अडाणी रा नांव।

म्हूं अजै ताईं लिखणो नीं सीख्यौ।

स्रोत
  • सिरजक : पवन 'अनाम' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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