ग़रीबी पर कवितावां

ग़रीबी बुनियादी आवश्यकताओं

के अभाव की स्थिति है। कविता जब भी मानव मात्र के पक्ष में खड़ी होगी, उसकी बुनियादी आवश्यकताएँ और आकांक्षाएँ हमेशा कविता के केंद्र में होंगी। प्रस्तुत है ग़रीब और ग़रीबी पर संवाद रचती कविताओं का यह चयन।

कविता42

आजादी री जीत कठै है

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

अेक रोटी

विजय राही

म्हनै लिखणौ नीं आवै

पवन सिहाग 'अनाम'

सूरमा

पवन सिहाग 'अनाम'

इंकलाब री आँधी

रेवतदान कल्पित

तूफांन

रेवतदान कल्पित

चुनाव डायरी सूं

कृष्ण कल्पित

सांचकलो रूप

घनश्याम नाथ कच्छावा

भूख री ओळखाण

शंभुदान मेहडू

बगत रौ हेलो

अर्जुनसिंह शेखावत

सुळ सुळियो

मोहम्मद सदीक

भौळी जनता

मोहम्मद सदीक

म्हारौ भगवान

पवन सिहाग 'अनाम'

लावौ दौ माचिस

पारस अरोड़ा

माटी थनै बोलणौ पड़सी

रेवतदान कल्पित

कजोड्या री कविता

भगवती लाल व्यास

मैं गयो पूछबा समञ्चार

बुद्धिप्रकाश पारीक

हक

रामकुमार भाम्भू

उण री आंख्यां में

अर्जुन देव चारण

गांव रा समाचार

हरदान हर्ष

भूख अर कविता

आशीष पुरोहित

काल

नागराज शर्मा

मजदूर

लालचन्द मानव

जीवन

रामकुमार भाम्भू

छात

विनोद स्वामी

गळांई

पवन सिहाग 'अनाम'

त्यूंहार

राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट'

घड़िया

ज्योतिपुंज

करां कांई

चन्द्र प्रकाश देवल

गरीबी रा झाड़

हरदान हर्ष

राजमहलां सांभळौ

तेजस मुंगेरिया

दिवलौ

रघुराजसिंह हाड़ा

वखत

गोरधन सिंह शेखावत

अनोखौ काळ

रेवतदान कल्पित

कोटै रो पटवारी

सतीश सम्यक

जुलम

श्याम महर्षि

गरीबी

इरफान अली