ग़रीबी पर कवितावां

ग़रीबी बुनियादी आवश्यकताओं

के अभाव की स्थिति है। कविता जब भी मानव मात्र के पक्ष में खड़ी होगी, उसकी बुनियादी आवश्यकताएँ और आकांक्षाएँ हमेशा कविता के केंद्र में होंगी। प्रस्तुत है ग़रीब और ग़रीबी पर संवाद रचती कविताओं का यह चयन।

कविता57

इंकलाब री आँधी

रेवतदान चारण कल्पित

औ कुण आयो, औ कुण आयो?

आईदान सिंह भाटी

आजादी री जीत कठै है

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

रोयां रुजगार मिळै कोनीं

रेवतदान चारण कल्पित

अेक रोटी

विजय राही

म्हनै लिखणौ नीं आवै

पवन सिहाग 'अनाम'

सूरमा

पवन सिहाग 'अनाम'

बीज नै उगणो पड़सी

भीम पांडिया

राजमहलां सांभळौ

तेजस मुंगेरिया

भूख अर कविता

आशीष पुरोहित

काल

नागराज शर्मा

मजदूर

लालचन्द मानव

जीवन

रामकुमार भाम्भू

भूख रो धरम

सत्येंद्र चारण

छात

विनोद स्वामी

गळांई

पवन सिहाग 'अनाम'

झूठौ बणज

प्रेमजी ‘प्रेम’

त्यूंहार

राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट'

मिगसर

रेवतदान चारण कल्पित

दिवलौ

रघुराजसिंह हाड़ा

बखत

गोरधन सिंह शेखावत

आकाश रो टुकड़ो

श्याम सुन्दर टेलर

अनोखौ काळ

रेवतदान चारण कल्पित

घड़िया

ज्योतिपुंज

करां कांई

चन्द्र प्रकाश देवल

गरीबी रा झाड़

हरदान हर्ष

बरसगांठ

रेवतदान चारण कल्पित

आजादी

भगवती लाल व्यास

नवौ कुरुखेत

रेवतदान चारण कल्पित

म्हारौ भगवान

पवन सिहाग 'अनाम'

समाजवाद

श्याम सुन्दर टेलर

लावौ दौ माचिस

पारस अरोड़ा

गांव रा समाचार

हरदान हर्ष

तूफांन

रेवतदान चारण कल्पित

चुनाव डायरी सूं

कृष्ण कल्पित

सांचकलो रूप

घनश्याम नाथ कच्छावा

भूख री ओळखाण

शंभुदान मेहडू

काल-चक्र

मोहन आलोक

काळ/ अकाळ/ महाकाळ

रेवतदान चारण कल्पित

राज बदळग्यौ म्हांनै कांई

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

बगत रौ हेलो

अर्जुनसिंह शेखावत

सुळ सुळियो

मोहम्मद सदीक

भौळी जनता

मोहम्मद सदीक

कोटै रो पटवारी

सतीश सम्यक