अपणायत पर कवितावां

मिनखीचारै सबद रै ओळै-दोळै

रौ ओ सबद आपरै मांयां एक आत्मिक रिस्तौ ले'न चालै जिणनै आपणौ लोक 'अपणायत'कैवै। अठै संकलित रचनावां अपणायत सूं जुड़ियोड़ी है।

कविता204

हेत प्रेम अपणायत में

श्रवण दान शून्य

पोती

हरीश हैरी

आग

हरीश हैरी

म्हैं रेत रो पंखेरू

कन्हैयालाल भाटी

बातां

अशोक परिहार 'उदय'

सैनिक

विजय गिरि गोस्वामी 'काव्यदीप'

सतमासिया सपना

कृष्ण बृहस्पति

दो भाव

कन्हैयालाल सेठिया

गौर

देवीलाल महिया

माटी

देवीलाल महिया

गौळ गळा मं

विष्णु विश्वास

मां

कृष्ण कुमार 'आशु'

धूंईं

पूनमचंद गोदारा

सावळ कोनीं

राजेन्द्र बारहठ

बापूजी

मोनिका शर्मा

माटी रो खजानौ

शंकरलाल मीणा

बा

थानेश्वर शर्मा

बुणगट

भगवती लाल व्यास

बात कठे

कृष्णा आचार्य

जोहड़ो

हरीश हैरी

नाणा

विजय गिरि गोस्वामी 'काव्यदीप'

रुठयो इन्दर

श्यामसुन्दर ‘श्रीपत’

सीट मिलेगी प्लीज।

मदन गोपाल लढ़ा

घर

अशोक परिहार 'उदय'

गांव री सौरम

हरीश सुवासिया

बीमारी

शंभुदान मेहडू

बखत रौ मोल

शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

फळ

मंजू किशोर 'रश्मि'

पिताजी

मनमीत सोनी

ओ कुण लुक-छिप आवै

रावत सारस्वत

आस

मनमीत सोनी

बिरहण

भवानीसिंह राठौड़ 'भावुक’

मोट्यारां

नंदकिशोर 'निर्झर'

घर

हनुमान प्रसाद 'बिरकाळी'

प्रीत रो प्रहलाद

वत्सला पांडे

खेजड़ी

अशोक परिहार 'उदय'

आ तो होवणी ई ही

देवकरण जोशी 'दीपक'

बाळपणों

अजय कुमार सोनी

नदी, नदी ही नीं है

वासु आचार्य

प्रीत

मीठेश निर्मोही

क्यूं

हरीश हैरी

पतियारो

शिवराज भारतीय

लिछमी

हरीश हैरी

मनचायी मौत

सत्येन जोशी