अपणायत पर काव्य खंड

मिनखीचारै सबद रै ओळै-दोळै

रौ ओ सबद आपरै मांयां एक आत्मिक रिस्तौ ले'न चालै जिणनै आपणौ लोक 'अपणायत'कैवै। अठै संकलित रचनावां अपणायत सूं जुड़ियोड़ी है।

काव्य खंड6

कित चाल्यो आधी रात

रामसिंह सोलंकी

मुंशीजी

विनोद सारस्वत

पातळ पृथी प्रकाश

कमल सिंह सुल्ताना

साहित री महिमा

उदयराज उज्ज्वल

हम्मीर महाकाव्य

ताऊ शेखावटी