अपणायत पर कहाणियां
मिनखीचारै सबद रै ओळै-दोळै
रौ ओ सबद आपरै मांयां एक आत्मिक रिस्तौ ले'न चालै जिणनै आपणौ लोक 'अपणायत'कैवै। अठै संकलित रचनावां अपणायत सूं जुड़ियोड़ी है।
रौ ओ सबद आपरै मांयां एक आत्मिक रिस्तौ ले'न चालै जिणनै आपणौ लोक 'अपणायत'कैवै। अठै संकलित रचनावां अपणायत सूं जुड़ियोड़ी है।
हाय-हाय! म्हारै ब्याव री बात चाल पड़ी। अबार तो नीठ लारलै जनम में ई घणी मुसकल सूं लुगाई सूं पिंड छुड़ा’र आयो हो अर इण जिनगाणी रै इकलाण रा पंद्रह बरस बिताया हा’क बस फेर म्हारै ब्याव री बात चाल पड़ी। हाय के करूं? म्हानै आछी तरियाँ याद है, जद भगवान म्हनै