अपणायत पर त्रिभंगी छंद

मिनखीचारै सबद रै ओळै-दोळै

रौ ओ सबद आपरै मांयां एक आत्मिक रिस्तौ ले'न चालै जिणनै आपणौ लोक 'अपणायत'कैवै। अठै संकलित रचनावां अपणायत सूं जुड़ियोड़ी है।

त्रिभंगी छंद1

ऊनाळा-अष्टक

कमल सिंह सुल्ताना