पुसप पर कवितावां

अमेरिकी कवि एमर्सन ने

फूलों को धरती की हँसी कहा है। प्रस्तुत चयन में फूलों और उनके खिलने-गिरने के रूपकों में व्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता67

रोहिड़े रा फूल

मृदुला राजपुरोहित

फरक कांई

राजूराम बिजारणियां

लय

रोशन बाफना

अगनी मंतर

भगवती लाल व्यास

म्हैं रूंख

कृष्णा आचार्य

चौबोली

शिवराज छंगाणी

म्हारो मन्न

सत्येंद्र चारण

आ बैठ बात करां - 3

रामस्वरूप किसान

अलीसन कोसे री मोत माथै

येवेजनी येव्तुसेंको

मैणत री बूंदां मांय

दीपचन्द सुथार

सबद : छह

प्रमोद कुमार शर्मा

रातरांणी

मणि मधुकर

आषाढी बिरखा

नंदू राजस्थानी

रूंख

सूर्यशंकर पारीक

आगे

रोशन बाफना

चोरी

पारस अरोड़ा

एकलो हाथ

भगवती लाल व्यास

माळी री हुंसियारी

गिरधारी सिंह राजावत

सपनो

गोरधन सिंह शेखावत

रोहिड़ा रौ बन

धनंजया अमरावत

पा’वणा

कल्याणसिंह राजावत

चुम्मौ

मणि मधुकर

अस्यां थोड़ी ई होवै छै

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

आप री माया

मोहन आलोक

प्रीत

गोरधन सिंह शेखावत

चड्डी आळो फूल

चैन सिंह शेखावत

जीवण री जुगत

थानेश्वर शर्मा

प्रीत

लालचन्द मानव

पुरस थे

सन्तोष मायामोहन

रोहिड़ै रौ फूल

शिवराज छंगाणी

बाड़ अर गुलाब

गोरधन सिंह शेखावत

काळ रा तीन ठांव

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

न्हँ आयो

अम्बिका दत्त

थारी कविता

अनिला राखेचा

घमलै रा फूल

मोहम्मद सदीक

ऊनाळै रो बाग

अन्ना अख्मातोवा

सज रैया है कैक्टस

किशोर कुमार निर्वाण

म्हैं

सन्तोष मायामोहन

गुप्तचर

शक्ति चट्टोपाध्याय

पीड़

ज़ेबा रशीद

कमरै कमरै

मोहन आलोक

सै सूं सुन्दर पुसब

रेणुका व्यास 'नीलम'