पुसप पर कवितावां

अमेरिकी कवि एमर्सन ने

फूलों को धरती की हँसी कहा है। प्रस्तुत चयन में फूलों और उनके खिलने-गिरने के रूपकों में व्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।

कविता47

सपनो

गोरधन सिंह शेखावत

पा’वणा

कल्याणसिंह राजावत

अस्यां थोड़ी ई होवै छै

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

चड्डी आळो फूल

चैन सिंह शेखावत

जीवण री जुगत

थानेश्वर शर्मा

प्रीत

लालचन्द मानव

पुरस थे

सन्तोष मायामोहन

शमसाँण री कणेर

भगवती लाल व्यास

रोहिड़ै रौ फूल

शिवराज छंगाणी

बाड़ अर गुलाब

गोरधन सिंह शेखावत

न्हँ आयो

अम्बिका दत्त

थारी कविता

अनिला राखेचा

घमलै रा फूल

मोहम्मद सदीक

सज रैया है कैक्टस

किशोर कुमार निर्वाण

म्हैं

सन्तोष मायामोहन

सै सूं सुन्दर पुसब

रेणुका व्यास 'नीलम'

जूण रा रंग

प्रहलादराय पारीक

थे

सुशीला चनानी

जीवणौं

मदनमोहन पड़िहार

कतल

कैलाश मनहर

पड़ूत्तर

रचना शेखावत

जवाब

ज़ेबा रशीद

आंकड़ा का फूल

प्रेमजी ‘प्रेम’

म्हारा हिस्सा को अहसास

हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष'

वसन्त वेळां

जयसिंह चौहान 'जौहरी'

रोहिड़े रा फूल

मृदुला राजपुरोहित

अणहद नाद

भगवती लाल व्यास

मैणत री बूंदां मांय

दीपचन्द सुथार

सबद : छह

प्रमोद कुमार शर्मा

रातरांणी

मणि मधुकर

आषाढी बिरखा

नंदू राजस्थानी

रूंख

सूर्यशंकर पारीक

आगे

रोशन बाफना

चोरी

पारस अरोड़ा

एकलो हाथ

भगवती लाल व्यास

माळी री हुंसियारी

गिरधारी सिंह राजावत

फरक कांई

राजूराम बिजारणियां

लय

रोशन बाफना

अगनी मंतर

भगवती लाल व्यास

म्हैं रूंख

कृष्णा आचार्य

चौबोली

शिवराज छंगाणी