हियै रै

हरिया बाग में

गुणां री कंवळी कळियां

अर सोवणां पौधां रै सागै’ई

औगणां रा झाड़-झंखाड़

अवस उगै।

तौ

माळी री हुंसियारी व्है’क

झाड़-झंखाड़

अर घास-फूस नै

बधण रौ औसर नीं दे’र

पौधां नै

बड़ी जुगत सूं पाळ-पोस’र

मोटा करै।

जीं सूं

बाग सौवणौ’र

मन भावणौ बण ज्यावै।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : गिरधारी सिंह राजावत ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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